Sunday, July 31, 2011

बाबा बाबा ब्लैक शीप

मुझे आज भी याद है जब मैं छोटा था स्कूल में 2 अक्टूबर की छुट्टी में, गाँधी की प्राथना से ज्यादा शायद लड्डू का इंतजार रहता था , जैसे ही हम घर आते थे रस्ते में मौजूद लोग पूछते थे की क्यों लौट आये ? बरबस ही मुह से निकल जाता था की गाँधी बाबा की जयंती है .. " बाबा " शब्द हमारे लिए उस समय भी नया नहीं था क्यों की जब हम घर में खाना नहीं खाते थे या कोई शैतानी करते थे तो लोग हमें ये कह कर डराते थे की "बाबा" पकड़ ले जायेगा ..अमूमन हर दुसरे घर में बच्चों को डराने के लिए यही शब्द प्रयोग किये जाते थे तब हमारे मन में आता था की दोनों बाबाओं का पहनावा एक सा है एक में लड्डू मिलते हैं दूसरा पकड़ ले जाता है उस समय हमारे स्कूल में हमें एक कविता सिखाई जाती थी बाबा बाबा ब्लैक शीप .. जब हम इनसे खीझ जाते थे तब जोर जोर से इसको गाकर इन बाबाओं को चिढाया करते थे और ये डंडा लेकर दौड़ते थे .. लेकिन समझ बढ़ने के साथ साथ इसका अंतर भी समझ में आ गया और रही सही कसर बाबा सम्राट रामदेव ने पूरी कर दी..जो बाबा नोर्मल धोती पहन कर सीधे से समाज हित में कम कर सकता है उसे नारंगी धोती पहनने की जरूरत क्या है ? .. और शायद यही कारण है की आज आस्था के प्रतीक इन बाबाओं को लोग पाखंडी ज्यादा मानने लगे हैं..
गाँधी को आज पूरा राष्ट्र सम्मान की नजरों से देखता है लेकिन आज बाबाओ से ज्यादा सम्मान कुछ बड़े औदोगिक घरानों और फिल्म अभिनेताओं का शायद इसलिए है क्यू की इन बाबाओं ने अपने मूल उद्देश्य से भटक कर खुद को व्यावसायिक कर लिया..आज गाँधी को आदर्श मान कर एक फिल्म मुन्ना भाई सुपर हिट हो जाती है गाँधी की तर्ज़ पर ही अन्ना हजारे जैसे गुमनाम (सीमित क्षेत्र के व्यक्तित्व) के जनांदोलन को पूरे देश में अविश्वशानीय सफलता मिलती है तो फिर बाबा रामदेव के कालेधन के मुद्दे पर अनशन के अंत में दो ही लोग कैसे रह जाते हैं ? सच तो ये है की बाबाओं के अतिमहत्वाकांक्षी होने की वजह से इतने गंभीर मुद्दे का प्रस्तुतीकरण कितना हल्का हो गया इतने गंभीर मामले पर पूरे देश को एकजुट करना था और इसे व्यक्ति - व्यक्ति की लड़ाई बना देना था .. इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता की रामदेव ने पूरे देश में योग क्रांति ला दी उनका कालेधन के मुद्दे पर देश को एकजुट करने का प्रयास भी ठीक था किन्तु उन्हें पहले खुद को ठीक कर मैदान में कूदना चाहिए था चैनलों ने जब उनसे सम्पति का ब्यौरा माँगा तो उन्हें तुरंत देकर अपना कद बढ़ाना चाहिए था और अपने ट्रस्ट को सारा कम नंबर एक में करने की सख्त हिदायत देनी चहिये थी जो बाद में चैनलों ने stnig के जरिये दिखाई .. मंदिर से निकल रही अकूत सम्पदा हमारे देश को सोने की चिड़िया की कहावत चरितार्थ कर सकती है लेकिन यजुर मंदिर में मौजूद हीरे जवाहरात और नकदी या बाबाओं का महज कुछ सालो में ही करोडपति बन हवाई जहाज से सफ़र करना क्या हम पर प्रश्न चिन्ह नहीं है ? ऐसे में अपनी खीझ मिटाने के लिए हमारा बाबा बाबा ब्लैक शीप गीत इन तक नहीं पहुच सकता क्यू की रोजाना अपने ऊपर लग रहे आरोपों के चलते इन्होने अपने कान बंद कर मुस्कराना सीख लिया है .. मुश्किल तो ये है आज हम क्या क्या बदलेंगे जब ईमानदार शब्द ही एक गाली है ..