Sunday, October 30, 2011

चाह कर भी नहीं भूल सकते ........... इंदिरा जी की शहादत

इंदिरा का जन्म 19 नवंबर 1917 को राजनीतिक रूप से प्रभावशाली नेहरू परिवार में हुआ था। इनके पिता जवाहरलाल नेहरू और इनकी माता कमला नेहरू थीं। इंदिरा को उनका गांधी उपनाम फिरोज गाँधी से विवाह के पश्चात मिला था। इनका मोहनदास करमचंद गाँधी से न तो खून का और न ही शादी के द्वारा कोइ रिश्ता था। इनके पितामह मोतीलाल नेहरू एक प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे। इनके पिता जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रमुख व्यäतिव थे और आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे।
1934-35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात,
इंदिरा
ने शानितनिकेतन में रविंद्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित विश्व-भारती विश्वविधालय में प्रवेश लिया। रविंद्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे प्रियदर्षिनी नाम दिया था। इसके पश्चात यह इंग्लैंड चली गइं और अक्सफोर्ड विश्वविधालय की प्रवेश परीक्षा में बैठीं, परन्तु यह उसमे विफल रहीं, और बि्रस्टल के बैडमिंटन स्कूल में कुछ महीने बिताने के पश्चात, 1937 में परीक्षा में सफल होने के बाद इन्होने सोमरविल कलेज, अक्सफोर्ड में दाखिला लिया। इस समय के दौरान इनकी अक्सर फिरोज गाँधी से मुलाकात होती थी, जिन्हे यह इलाहाबाद से जानती थीं, और जो लंदन स्कूल अ‚फ इक‚न‚मिक्स में अध्ययन कर रहे थे। अंतत: 16 मार्च 1942 को आनंद भवन, इलाहाबाद में एक निजी आदि धर्म ब्रह्रा-वैदिक समारोह में इनका विवाह फिरोज से हुआ। अक्सफोर्ड से वर्ष 1941 में भारत वापस आने के बाद वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हो गयीं। 1950 के दशक में वे अपने पिता के भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान गैरसरकारी तौर पर एक निजी सहायक के रूप में उनके सेवा में रहीं। अपने पिता की मृत्यु के बाद सन 1964 में उनकी नियुक्ति राज्यसभा सदस्य के रूप में हुइ। इसके बाद वे लालबहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना और प्रसारण मत्री बनीं।श्री लालबहादुर शास्त्री के आकसिमक निधन के बाद तत्कालीन कग्रेस पार्टी अध्यक्ष के. कामराज इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में निर्णायक रहे। गाँधी ने शीघ्र ही चुनाव जीतने के साथ-साथ जनप्रियता के माध्यम से विरोधियों के ऊपर हावी होने की योग्यता दर्शायी। वह अधिक बामवर्गी आर्थिक नीतियाँ लायीं और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा दिया। 1971 के भारत-पाक युद्ध में एक निर्णायक जीत के बाद की अवधि में असिथरता की सिथती में उन्होंने सन 1975 में आपातकाल लागू किया। उन्होंने एवं कग्रेस पार्टी ने 1977 के आम चुनाव में पहली बार हार का सामना किया। सन 1980 में सत्ता में लौटने के बाद वह अधिकतर पंजाब के अलगाववादियों के साथ बढ़ते हुए द्वंद्व में उलझी रहीं। जिसमे आगे चलकर सन 1984 में अपने ही अंगरक्षकों द्वारा उनकी राजनैतिक हत्या हुइ।
1967 के बाद जिला रायबरेली सुर्खियों में आया जब 1967 श्रीमती. इंदिरा गांधी अपने निर्वाचन क्षेत्र के रूप में चयन किया है, जब 1977 में सत्तारूढ़ प्रधानमंत्री श्रीमती. इंदिरा गांधी जनता पार्टी नेता श्री राजनारायण से हार
गई थी
, और उसके बाद 1984 में जब प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी अमेठी से निर्वाचित किया गया था, तो देश के manch में रायबरेली का राजनीतिक महत्व सबके सामने आया । इन 27 वर्षों के दौरान (1967 - 1994), जिला रायबरेली राष्ट्र को दो प्रधानमंत्रियों दिया है। बि्रटिश शासनकाल के बाद से, आज तक रायबरेली की जमीनी राजनीति कांग्रेस के हाथ रही । आजादी के बाद से आज तक, केवल दो बार गैर कांग्रेस उम्मीदवार यहाँ से लोकसभा गया था, (1977 में जनता पार्टी द्वारा श्री राज नारायण और भाजपा के श्री अशोक सिंह ने 1994 में). 1967 के बाद से जब श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के रूप में रायबरेली का चयन किया उसके पहले 1952 से 1966 तक, सोशलिस्ट पार्टी जैसे विपक्षी दलों के प्रभाव बहुत ज्यादा था इंदिरा गांधी को प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रूप में जाना जाता है, उन्होंने रायबरेली के समग्र विकास की दिशा में ध्यान दिया. उसके शासन के दौरान इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज, रायबरेली कपड़ा मिल, राज्य सिपनिंग मिल, मोदी कालीन फैक्ट्री और एक दर्जन अन्य उधोगों की स्थापना थे. . जिले में कुल सिंचाइ सुविधाओं को प्रदान किया गया. धातु और कंक्रीट सड़कों का निर्माण और उच्च शिक्षा की सुविधा भी प्रदान किया गया. वह आधुनिक रायबरेली का प्रतीक था. लाखों रुपए जिले के विकास पर खर्च किए गए थे। इस अवधि के दौरान, रायबरेली कांग्रेस और भारतीय राजनीति के नाभिक बन गया. एक बार 1976 में कैबिनेट की बैठक रायबरेली में की गई न की राज्य की राजधानी में आयोजित की थी. जिला रायबरेली कांग्रेस कार्यकर्ताओं के तीर्थ बन गया. श्रीमती गांधी के बयान के बावजूद, सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हर चुनाव से पहले इस तीर्थयात्रा में आने की इच्छा थी. इस अवधि के दौरान रायबरेली में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रेस में भरपूर प्रचार मिला । व्यस्त राजनीतिक कार्यक्रम के कारण इंदिरा जी राजनीतिक एजेंट के रूप में यशपाल जी केंद्रीय कर्यालय से चुनाव प्रचार देखते थे इस दौरान यहाँ के लोकल कार्यकर्ताओं को तुच्छ बना दिया गया था लेकिन कांग्रेस आलाकमान द्वारा नामित जिले का प्रभुत्व है, 1976 में संजय गाँधी के सक्रिय राजनीती में आने के बाद यहाँ की राजनीती और उछल मारने लगी

इन्दिरा जी प्रधानमंत्री होने के नाते यह क्षेत्र हमेशा सुर्ख़ियों में रहा ,उन्होंने 1967 और 1971 में रायबरेली से चुनाव लड़ा और1977 में उन्हें जनता पार्टी के श्री राजनारायण द्वारा आपातकाल के बाद हराया गया था रायबरेली से उनका मान भर गया तब उन्होंने 1980 में चुनाव लड़ा मेडक (आंध्र प्रदेश) से भी, और रायबरेली की सीट छोड़ दी जहां बाद में कांग्रेस के श्री अरुण नेहरू ने उपचुनाव में विजय श्री प्राप्त की ..1991 में श्री राजीव गांधी की हत्या के बाद इस सीट को 1991 में कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा और 1994 में श्री भाजपा के अशोक सिंह द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया लेकिन 1999 श्रीमती, सोनिया गांधी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के रूप में अमेठी का चयन कियाऔर एक रिकार्ड मार्जिन के साथ लोकसभा पहुची। उसके बाद श्रीमती गाँधी ने 2004 के लोकसभा आम चुनाव में निर्वाचन क्षेत्र के रूप में रायबरेली का चयन किया और वह रिकार्ड मार्जिन के साथ लोकसभा पहुच गई तब से लेकर आज तक यह सीट उनके कब्जे में है ...


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